Author Ram Vilas Sharma दूर ऽऽ लकदक पहाड़ियों से घिरी नीलाभ झील पर पसरा है मुलायम सन्नाटा स्पन्दित कर दिया अचानक उसका रोम-रोम रिमझिम फुहारों ने ऎसे में लगती है कितनी सुहानी झील की थरथराती साँवली देह । Rate this poem Select ratingGive it 1/5Give it 2/5Give it 3/5Give it 4/5Give it 5/5 No votes yet Rate Reviews Post review No reviews yet. Log in or register to post comments