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मधुयामिनि नील-लता
हो गगनीं कुसुमयुता
धवलित करि पवनपथा
कौमुदि मधु मंगला-

दिव्य शांति चंद्रकरीं
आंदोलित नील सरीं
गिरिगिरिवरि, तरुतरुवरि
पसरे नव भूतिला-

सुप्रसन्न, पुण्य, शांत
रामण्यकभरित धौत
या मंगल मोहनांत
विश्वगोल रंगला.

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