Author Ashok Chakradhar एक अंकुर फूटा पेड़ की जड़ के पास । एक किल्ला फूटा फुनगी पर । अंकुर बढ़ा जवान हुआ, किल्ला पत्ता बना सूख गया । गिरा उस अंकुर की जवानी की गोद में गिरने का ग़म गिरा बढ़ने के मोद में । Rate this poem Select ratingGive it 1/5Give it 2/5Give it 3/5Give it 4/5Give it 5/5 No votes yet Rate Reviews Post review No reviews yet. Log in or register to post comments