Skip to main content
Author

उस बोतल में जिसमें एम्नियोटिक तरल नहीं
दस प्रतिशत फ्रॉर्मलडीहाइड सॉल्यूशन है,
भोपाल त्रासदी के इक्कीस साल बाद भी,
ज़हर से मरा हुआ एक भ्रूण है
अपनी फॉरेन्सिक जाँच की रहस्यमय स्थिति से
मुक्त होने के इन्तज़ार में

आश्चर्य, कि बीस से अधिक वर्षों के बाद भी
किसी ने ध्यान नहीं दिया एक सही यन्त्र की खोज पर जो
पढ़ सके उन हजारो मौतों को जो
किसी वैश्विक कॉर्पोरेट की स्थानीय टंकियों से निकाल कर
हवा में रिस आये मिथाइल आइसोसाइनाइट से हुई थी

मेरा बेटा, उसकी पत्नी और उनका अजन्मा बच्चा बचे हुवों में थे
वे झेलते रहे कई तरह से
लेकिन उस रासायनिक सदमे के सटीक असर को जिसने हजारों ज़िन्दगियाँ
बदल कर रख दी
आज तक नहीं जाना गया है
वह है भोपाल भ्रूण में
विज्ञान से उपेक्षित, अपने आप में दफ़न कला की तरह

हम जीते हैं उस भूल को क्योंकि उसे भूल कर ही जी पाते हैं
भले ही रह जाये वह अपरीक्षित जैसे हो बोतल में बन्द
किसी एम्नियोटिक तरल में नहीं बल्कि लम्बे पश्चाताप में
दूर किसी मरते हुए तारे की रोशनी.

Rate this poem
No votes yet
Reviews
No reviews yet.