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उठहु उठहु प्रभु त्रिभुवन राई ।
तिनके अरिन देहु अकुलाई ।
रन महँ तिनहिं गिरावहु मारी ।
सब सुख दारिद दूर बहाओ ।
विद्या और कला फैलाओ ।
हमरे घर मँह शांति बसाओ ।
देहु असीस हमै सुखकारी ।

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