Skip to main content
Author

यह सोनजुही-सी चाँदनी
नव नीलम पंख कुहर खोंसे
मोरपंखिया चाँदनी।

नीले अकास में अमलतास
झर-झर गोरी छवि की कपास
किसलयित गेरुआ वन पलास
किसमिसी मेघ चीखा विलास
मन बरफ़ शिखर पर नयन प्रिया
किन्नर रम्भा चाँदनी।

मधु चन्दन चर्चित वक्ष देश
मुख दूज ढँके मावसी केश
दो हंस बसे कर नैन-वेश
अभिसार रंगी पलकें अशेष
मन ज्वालामुखी पर कामप्रिया
चँवर डुलाती चाँदनी।

गौरा अधरों पर लाल हुई
कल मुझको मिली गुलाल हुई
आलिंगन बँधी रसाल हुई
सूने वन में करताल हुई
मन नारिकेल पर गीत प्रिया
वन-पाँखी-सी चाँदनी।

Rate this poem
No votes yet
Reviews
No reviews yet.